











- Brand: Pravasi Prem Publishing India
- Language: Hindi
- Weight: 214.00g
- Dimensions: 21.00cm x 14.00cm x 2.00cm
- ISBN: 9788198136442
यमुना
नदी की सेहत केवल उसके अपने प्रवाह पर निर्भर नहीं करती, बल्कि उसकी सहायक नदियों की स्थिति भी उसमें अहम भूमिका
निभाती है। पिछले कुछ दशकों में तेजी से बढ़ते शहरीकरण, प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों ने इन सहायक नदियों
को गहरे संकट में डाल दिया है। उनकी दुर्गति का सीधा असर यमुना की स्वच्छता, जल प्रवाह और पारिस्थितिकी तंत्र पर पड़ रहा है।
यह
पुस्तक न केवल यमुना की प्रमुख सहायक नदियों—चंबल, बेतवा, केन, हिंडन, काली, साहिबी आदि—की मौजूदा स्थिति का विश्लेषण करती है, बल्कि यह भी बताती है कि किस प्रकार अनियंत्रित औद्योगीकरण, अवैध रेत खनन और जल संसाधनों के अंधाधुंध दोहन ने इन नदियों
को दम तोड़ने के कगार पर ला दिया है।
क्या हम
अब भी इन सहायक नदियों को पुनर्जीवित कर सकते हैं? क्या यमुना को उसके मूल स्वरूप में लौटाने की कोई संभावना है? इस पुस्तक में इन ज्वलंत प्रश्नों पर गहन चर्चा की गई है और
संभावित समाधान प्रस्तुत किए गए हैं। यह शोधार्थियों, पर्यावरणविदों, नीति-निर्माताओं
और आम नागरिकों के लिए समान रूप से उपयोगी सिद्ध होगी।
प्रवीण
पांडेय (एमसीए, एमए राजनीति विज्ञान, शिक्षा
शास्त्र, एम जे एम सी, एलएलबी )
सामाजिक
क्षेत्र में विद्यार्थी काल से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में कार्यकर्ता के रूप
में विभिन्न दायित्वों के साथ अखिल भारतीय
विद्यार्थी परिषद,
विद्या भारती, पर्यावरण गतिविधि, गंगा
समग्र सहित अन्य सामाजिक एवं सांस्कृतिक क्रिया कलापों के सहभागी रहे। इन
दिनों नदी, पोखर, झील, तालाब, वन, पर्यावरण, प्राचीन
एवं धार्मिक धरोहरों को सहेजने के लिए प्रयासरत हैं। छात्रों, युवाओं तथा जिम्मेदार नागरिकों के बीच पहुंच कर उन्हें जल, जंगल, ज़मीन व
जीव-जन के संरक्षण हेतु प्रेरित कर रहे हैं। श्री पांडेय निरंतर, स्थानीय समाचार पत्रों, पत्रिकाओं
में लेख के माध्यम से भी आमजन में जागरूकता फैलाने में सक्रिय भूमिका निभा रहे
हैं। कई प्राचीन तालाबों, झीलों के
संरक्षण का अभियान चलाकर उन्हें प्रशासनिक मदद से कब्जा मुक्त कराया जा चुका है।
नदियों की पद यात्रा, तालाबों
पर संवाद यात्रा,
आरती-पूजन, हरियाली बचाने के लिए पेड़-पौधों पर रक्षा सूत्र बंधन जैसे
कई अभियान श्री पांडेय के नेतृत्व में संचालित हैं। श्री पांडेय ने पांच वर्षो तक विप्रो, आईबीएम जैसी मल्टीेनेशनल कंपनियों में बतौर साफ्टवेयर
इंजीनियर कार्य किया। वर्तमान में पैत्रक गांव के शिक्षा संस्थान में निजी तौर पर
कार्य कर कर रहे हैं। बुंदेलखंड राष्ट्र समिति के संस्थापक होने के नाते उत्तर
प्रदेश और मध्य प्रदेश के बीच बंटे बुंदेलखंड क़ो अखंड राज्य बनाने के लिये भी
संघर्षरत हैं। अलग राज्य की मांग करते हुए श्री पांडेय तथा इनके सहयोगी
स्वयंसेवकों ने रिकार्ड 34 बार खून
से पत्र लिखकर प्रधानमंत्री समेत कई जनप्रतिनिधियों तथा अधिकारियों को भेजे हैं।
विभिन्न टीवी चैनल में बतौर विश्लेषक उन्हें आमंत्रित किया जाता है।
चर्चित
पुस्तक - जलनिधियो को जीने दो(प्रवासी प्रेम पब्लिशिंग इंडिया ,2024)